रंग / दीपा मिश्रा
जीवनक रंग कहियो एक रंग नहि रहल
हमहूँ बदलैत रहलौं संगहि संग रंग बदलैत रहल
ओ रंग पकिया छल जे नेनपनमे लागल
सोन्हगर गामक दलानक ओ मेह केर धानक झोंटी एखनो हरियर अछि
कतबो मोन पर पानि उझलल स्मृतिक रंग आरो बेसी चढ़ैत गेल
चाहलौं ओकरा रगड़ि रगड़ि छोड़ाबी
सगरो देह छिला गेल मुदा ओ नै संग छोड़लक
सिनूरक रंग जीवनक भाग बदलि देलक
गुआ माला लहठी,पसाहिन, घोघटा पटोर,कोहबरक ओ सब रंग पटिया एखनो ओहिना बिछायल अछि
प्रेमक तेहन नशा आ डोरिसँ बन्हलक जे
आइओ ओकर बाँहि पकड़ने अगराइत उड़ैत रहैत छी
ओ रंग त'आर सुच्चा छल नेनपनसँ कहीं बेसी' तिल तिल नूतन होइत' रहल
सिनेहक रंग जीवनक भाग बदलि देलक
मातृत्वक रंग जहियासँ लागल पीयर आंचर तर उज्जर धार बहि गेल
ओ रंग नेनपनकेँ फेर ज़िया देलक प्रेमक रंगक डोइरके आरो मजगुत कऽ देलक
काजर,डिठौना,हींग राइ माँ माँ कहि अनघोल करैत रहल
आ हम ओहि रंगकेँ भरि देह लेपने रहैत छी
हमर स्त्रीत्वक रंग हमरा अनुरक्त करैत रहैये
सब मास आबि ओ हमरा एकटा पूर्णता नव स्फूर्ति दैये
हमर दिशा के अलग-अलग रंग मिलिके बनबैये
कहिओ माटिक रंग, कहिओ अकासक
कहिओ पानिक रंग, फूल पात गाछ वृक्ष सब संग मिझ्झर भऽ हमरा पर लेबा लगा जाइए
प्रकृति अपन रंगमे ढोइर दैये
हम देखने छी भरल गामक रंग, हँसैत अंगनाक रंग
उदास खाली भेल कनैत तुलसी पीरक रंग
हम देखलौं माँक घावके रंग, पिताक उदासीक रंग
सोहरक रंग, समदाओनक रंग, सिनूर पिठारक रंग, दुआरि पर लागल गेरूक रंग
दुलारक रंग, अपमानक रंग, विश्वासक रंग, उलहनक रंग
हमर चारुकात कतेक लोक कतेक रंग अछि
हम सबसँ कनेकके लऽ के अपन रचनामे भरैत रहैत छी
रंग सुख दैये, रंग दुःख दैये तैओ हम ओकरा नै छोड़ैत छी
रंग हमरा रंगैत रहैये हम रंगमे मातल रहैत छी