भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजनीति-१ / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिनके कान
बड़े हैं हाथी के कान से भी
जुबान
सड़क से भी लम्बी
क्यों नहीं होते दंगों के शिकार
जब होते हैं शिकार
अबोध बच्चे
कुचली जाती है उनकी
उजली हंसी
क्यों महफूज रहते हैं
उनके कहकहे-ठहाके
होते हैं जिनके हाथी से भी बड़े कान
सड़क से भी लम्बी जुबान