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राजनीति-१ / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
जिनके कान
बड़े हैं हाथी के कान से भी
जुबान
सड़क से भी लम्बी
क्यों नहीं होते दंगों के शिकार
जब होते हैं शिकार
अबोध बच्चे
कुचली जाती है उनकी
उजली हंसी
क्यों महफूज रहते हैं
उनके कहकहे-ठहाके
होते हैं जिनके हाथी से भी बड़े कान
सड़क से भी लम्बी जुबान