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रिस्ता / हरीश बी० शर्मा
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थरपीज्योड़ी बंगली
भैरूं-भोमियां री।
जठै सरधा राखणी पड़ै
ऐढै-टांकणै
वार-मित्त
पतासा-नारेळ
मन-उपरयां कर चढ़ावणा पड़ै।