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लड़की / स्नेहमयी चौधरी
Kavita Kosh से
मेरे अंदर की
अबोध लड़की
चुपचाप खिसक गई
जाने कहां
कविताओं में अपने को
अभिव्यक्त कर पाने में असमर्थ
फूट-फूट कर रो रही हूं मैं यहां!