भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लड्डू / लक्ष्मी खन्ना सुमन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुंदर गोल-मटोले लड्डू
अजी स्वाद के डोले लड्डू

ठस-ठस डब्बों में भर-भरकर
भैया जी ने तौले लड्डू

मजे-मजे से खाए दादी
ताजा-ताजा, पोले लड्डू

किशमिश, पिस्ते, बादामों के
बड़े-बड़े हैं गोले लड्डू

बरफी, पेड़ों से सस्ते हैं
मोतीचूर मझोले लड्डू

पूछा, क्या खाओगे बच्चों,
खुश-खुश सब ही बोले लड्डू

चम-चम वरकों में सज धजकर
'सुमन' लगें बड़बोले लड्डू