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वाह / रत्नेश कुमार
Kavita Kosh से
अरी वाह री
धर्म की धरा
एक है बैठा / दूसरा खड़ा
अरे वाह रे
हिन्दू का देश
ख़त्म अहिंसा / हिंसा अशेष!