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विद्वान अंधेरा / केदारनाथ अग्रवाल
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विद्वान अंधेरा
ढपोरशंखी सूर्य
दोनों हमारे हैं
और हम
उनके सहारे हैं
थके हुए
हारे हैं
(रचनाकाल : 27.07.1966)