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विरासत / जय जीऊत
Kavita Kosh से
मेरे दादा शर्तबन्द मज़दूर के रूप में
गिरमिट प्रथा के तहत
यहां लाये गये थे
फिर भी
अपने अथक परिश्रम के बल-बूते पर
वे मेरे परिवार को
छः एकड़ ज़मीन
देने में सक्षम रहे ।
मेरे पिता थे एक खेतिहर
अनपढ़ और अनगढ़
फिर भी
जाते-जाते
मेरे लिए तीन एकड़ ज़मीन
छोड़ गये ।
मैं हूं एक स्नातक
अपने पिता से
कहीं सुविधा-सम्पन्न ।
उच्च शिक्षा -अर्जन उपरान्त
एक सफेदपोश नौकरी
पर स्थित हूं
फिर भी
अपने बेटे को
मात्र एक मकान-निर्माण हेतु
बिता-भर ज़मीन
दे पाया हूं ।
मेरा पुत्र कुशाग्र बुद्धि है
ज़ाहिर है भविष्य उसका
उज्ज्वल और सुरक्षित है
फिर भी
अपने पुत्र को
ज़मीन की शकल में
कुछ दे भी पायेगा
इस प्रश्नोतर की संदिग्धता
मेरी शान्त और एकान्त रातों को
चिंताओं से बोझिल कर देती है ।