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सदबर्ग / परवीन शाकिर
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सदबर्ग
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रचनाकार | परवीन शाकिर |
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प्रकाशक | वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | शायरी |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
नज़्में
- श्याम मैं तोरी गैयाँ चराऊँ / परवीन शाकिर
- शगुन / परवीन शाकिर
- तूने कभी सोचा / परवीन शाकिर
- बुलावा / परवीन शाकिर
- गूँज / परवीन शाकिर
- नेग / परवीन शाकिर
- गंगा से / परवीन शाकिर
- ऐ जग के रंगरेज़ / परवीन शाकिर
- कन्यादान / परवीन शाकिर
- निक नेम / परवीन शाकिर
- मलाल-ए-तेज़रवी / परवीन शाकिर
- कत्बः / परवीन शाकिर
ग़ज़लें
- तमाम लोग अकेले थे राहबर ही न था / परवीन शाकिर
- किसकी खोज में फिर खो गया कौन / परवीन शाकिर
- सुंदर कोमल सपनों की बारात गुज़र गई जानाँ / परवीन शाकिर
- आँखों में थकन, धनक बदन पर / परवीन शाकिर
- बज उठे हवा के दफ़, वज्द में कली आई / परवीन शाकिर
- धूप सात रंगों में फैलती है आँखों पर / परवीन शाकिर
- मुश्किल है कि अब शह्र में निकले कोई घर से / परवीन शाकिर
- रस्ता भी कठिन धूप में शिद्दत भी बहुत थी / परवीन शाकिर
- तुझसे कोई गिला नहीं है / परवीन शाकिर
- बदन तक मौज-ए-ख़्वाब आने को है फिर / परवीन शाकिर
- उसी तरह से हर इक ज़ख़्म ख़ुशनुमा देखे / परवीन शाकिर
- मर भी जाऊँ तो कहाँ लोग भुला ही देंगे / परवीन शाकिर
- अमीर-ए-शह्र में साइल बड़ा है / परवीन शाकिर
- पिरो दिए मेरे आँसू हवा ने शाख़ों में / परवीन शाकिर
- शाम आई तेरी यादों के सितारे निकले / परवीन शाकिर
- हिज्र की शब का किसी इस्म से कटना मुश्किल / परवीन शाकिर
- क़दमों में भी थकान थी, घर भी क़रीब था / परवीन शाकिर
- एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा / परवीन शाकिर