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सपूतों से / पद्मजा बाजपेयी
Kavita Kosh से
भारत सपूतों तुम्हारी शक्ति, पर हमे गर्व है,
तुम्हारी बुद्धि पर, बलिदान पर,
हजारों स्वप्न हुए साकार है।
स्वतंत्रता का कमल, झिलमिलाता नयन में,
मिल रहा है सुकून कितना, हर सांस में, हर प्राण में।
हर गली, हर द्वार महके,
विविध पुष्पों की बनी इस वाटिका का,
हर फूल चहके, एकता में पिरोती,
संस्कृति का रूप, हर क्षण और दमके।
प्रेम का ही पाठ सबने पढ़ाया,
राम-कृष्ण, नानक गुरु ने सिखाया,
देश की पावन धरा पर, प्रेम ही बस प्रेम बरसे।