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समदरियो / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
मैं समदर हूं ठांव ठौड़ रो
तूं बरसाती नाळो।
बायल कोयल चाल कदेई
मींत मुळकतो आवै,
नूंईं जूनी बात गळै मिल
रूच रूच घणी बतावै,
तूं रळ म्हारै बासी जळ में
ताजी लैर उठावै,
भुला थकेलो फेर जवानी
जीवण गीत जगावै,
पण मन मिलतां फेर लाग ज्या
थारै चालो चालो,
मैं समदर हूं ठांव ठौड़ रो
तूं बरसाती नाळो।
थोड़ा दिन तो जिबड़ो म्हारो
ओल्यूं थारी करसी,
सूतां उठतां आकळ बाकळ
जीणू घणूं अखरसी,
फेर भटक मन थक आखर में
आ ही साच पकड़सी,
मेह पांवणां किण रै सै दिन
सोच सबूरी धरसी,
मिलणै लारै लग्यो बिछड़णूं
ओ ही जग रो ढाळो,
में समदरियो ठांव ठौड़ रो
तूं बरसाती नाळो।