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साँप / शरद बिलौरे

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कल जिसे आँगन में मार दिया गया थ
साँप
रात सपने में आया था
अपना ज़हर वाला दाँत माँगने
कह रहा था
दूसरी दुनिया वालों ने
मुझे साँप मानने से इन्कार कर दिया है
वहाँ मेरे साथ न्याय नहीं हो रहा है
मेरा ज़हर वाला दाँत मुझे लौटा दो
मैं सुबह माँ से पूछता हूँ
साँप के दाँत के बारे में
माँ कहती है
बेटा
इतने छोटे बच्चे के दाँत नहीं होते
अच्छा ही हुआ
जो मैं
अपना दाँत माँगने
किसी के सपने में नहीं गया।