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साथ / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
मेंहदी री लकीरां
मेटां बाद
रैवण नै
जूनी लकीरां भागां री रैवै है
जिकी जलम सूं ही
जोग-संजोग खातर।
मेंहदी तो निमत्त बणै
च्यार दिन रै चोळकै री।
संस्कार अर सीखां री
साख भरै अर
काम काढ‘र
आपरै मारग निसरै।