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सूनो अकास / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
अकास री पाटी
माथै
मौसम रै मिजळै
छोरै
हवा रै बतरणै सूं
कोनी माण्ड्यो
एक भी
बादली आखर‘र
पाटी पड़ी है
सफाचट