भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हत्या / रविकान्त

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आप आप आप
आप सब
जिन्हें मैं समझता हूँ कुछ
सिर्फ इतना बताएँ कृपाकर
मैं
ऐसा क्या करूँ
कि अपने को आत्महत्यारों की हत्या में
शरीक न समझूँ

कम से कम
आप सब को तो
बिल्कुल
ही नहीं