भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हम ही / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
अनुमान लगा सकते हैं हम
किसका शव मिला होगा वितस्ता नदी से
किसको दी गई होगी फाँसी
सेबों के बाग़ में
किसको ले गए होंगे घर से उठाकर
आँसू किसके गिरे होंगे
ओस की तरह
घास पर
अनुमान लगा सकते हैं हम
यहाँ जलावतनी में