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हरा समुंदर / श्रीप्रसाद
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हरा समुंदर गोपीचंदर
बोल मेरी मछली कितना पानी
गा-गा करके सुना रही हैं
सब बच्चों की बूढ़ी नानी
जब बादल आते हैं काले
बरसा होती है झर-झर-झर
तब नदियाँ भर-भर जाती हैं
पानी लहराता है तट पर
नदियाँ ले जातीं पानी को
सागर में शामिल हो जातीं
नानी कहती हैं, ये नदियाँ
सागर मं गहराई लातीं
हो जाता है हरा समुंदर
ऊँची लहरों वाला सुंदर
तब मछली डुबकी लेती है
खुश होकर पानी के अंदर
नानी कितना अच्छा गातीं
कितना अच्छा गीत सुनातीं
बादल बरसाते हैं पानी
बूँदें फूलों-सी खिल जातीं।