भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हरियाळी / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
अकास
सूरज री
सोनल-रूपल
कलम सूं अर
हरियाळी री
हरी स्याई सूं
कर दिया
धरती रै कोरै
कागज माथै
दसखत
ठौड़-ठौड़