भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हवा / सत्यनारायण सोनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
हवा
जो आज जख्मी है
कल
कत्ल कर दी जाएगी
सरेआम।

तब
ठूंठ दरख्तों को देखते
मुर्दे घूमेंगे
ठांव-ठांव।

1989