भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु / सरस्वती माथुर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1
 तारा टूटा तो
 आसमां से दूर हो
 अनाथ हुआ ।
2
 अँधेरी रात
 पीली चाँदनी बनी
 रोशनदान ।

 ऊँची पहाड़ी
 बर्फ जड़ी -पिघली
 नदिया बनी ।
4
 धरा महकी
 पुष्प अगरबत्ती
 जब जलाई ।
5
 छोड़ तरु को
 पतझड़ी पात भी
 संत से लगे ।
-0-