भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु 152 / लक्ष्मीनारायण रंगा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डूबै सूरज
लै‘र लै‘र लै‘रावै
बाळू समंद


रिमझिम है
अकास रै प्रेम री
अमी फुहार


थारी छुअण
बणायो तन मन
ममोलियो सो