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हाइकु 23 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
भरत-राम
ऊभा है आंमी-सांमी
बूकिया ताण
टी.वी. देखावै
का‘णी घर-घर री
कठै बे घर?
अेकल-घर
मरी लोककथावां
दादी न नानी