भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु 87 / लक्ष्मीनारायण रंगा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

काळै बादळां
बीज करै रोसणी
थूं मन चेता


नारी मा हुवै
पण अबै जणै है
मानव बम


सै कीं बिकै है
ई अंधेर नगरी
चैपट राज