भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाथ-3 / अशोक वाजपेयी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसके हाथ की गुनगुनी धूप
उसके हाथ का झिझकता अन्धेरा

उसके हाथ फूलों की तरह
ओस-भीगे और शान्त
उसके हाथ पक्षियों की तरह
भाग जाने को विकल

उसके हाथ अकेले
उसके हाथ डूबे हुए स्वप्न में
उसके हाथ
करते हैं प्रतीक्षा
हाथों की।

रचनाकाल :1989