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व्याकरण / अनिल मिश्र

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बचपन में व्याकरण की पुस्तक में पढ़ा
कि एक से अधिक वर्णों से बनी
स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द है
तभी से सोचता रहा
अवश्य होती होगी आसपास
कहीं निरर्थक शब्दों की बस्ती
बार बार निकालकर बाहर फेंक दिए गए होंगे
वो सार्थक शब्दों के टोले से
क्या करते?

मैंने व्याकरण के बारे में भी सोचा
फिर उसकी कार्यशाला के बारे में
जहां गढ़ी जाती होंगी ऐसी परिभाषाएं