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अकेली कहॉं वह / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
थक कर
निढाल लेटी वह
एक जोड़ी कबूतर
बंद खिड़की के
कांच के उस पार
छेड़छाड़
धमाचौकड़ी
शुरू कर देते
एकबारगी
मन में उसके
दो बातें
साथ - साथ उगतीं
आजकल अकेली है
नहीं
युगल कबूतर साथ हैं
अकेली कहां है वह