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अक्सर / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
हसरतों की माला
गूँथती हैं
आईने से बतियाती हैं
सबके बीच होकर भी
अक्सर अदृश्य हो जाती हैं
लड़कियाँ
प्रेम में।