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अच्छा कइ मरबा बनैहऽ / अंगिका लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
अच्छा<ref>अच्छा करके; बहुत बढ़िया</ref> कइ मरबा बनैहऽ<ref>बनाना</ref> हो बोन्हय<ref>बहनोई</ref>।
आइतै<ref>आयेंगे</ref> सुजन लोक<ref>लेगा</ref> बैसत मरबा, दूसत<ref>शिकायत</ref> मरबा तोहार हे॥1॥
फूलें मरबा सजैहऽ हो भैया।
आइतै सुजन लोक बैसत मरबा, दूसत मरबा तोहार हे॥2॥
मलाइनी<ref>मनायनी; पार्वत की माँ, लड़की की माँ</ref> धिया रे जलमाबे।
आइतै सुजन लोक बैसत मरबा, लुटतै संपत तोहार हे॥3॥
शब्दार्थ
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