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अधुरापन / मनीष मूंदड़ा
Kavita Kosh से
कुछ दर्द के लम्हें...
एकाकी और अधूरापन का साथ...
जमाने भर की शिकायतें जमाने से
अधूरा नसीब...
पुरानी बातें,
नए जख़्म...
जिंदगी की उधेड़बुन...
उकसाता है मुझे मेरे अंतर्मन को...
कुछ लिखने को कुछ रंगने को
ताकि मैं कुछ भरपाई कर पाऊँ
इस अधूरेपन भरी ज़िन्दगी को...