अनपढ़ कमला / नंदेश निर्मल
अनपढ़ कमला दुख में डूबी
तीन दिनों से सोच रही थी
कल स्कूल नहीं जाने का
इसका दुखड़ा झेल रही थी।
अनपढ़ कमला दुख में डूबी
तीन दिनों से सोच रही थी।
दी थी पाती ने उसको पाती
और लिफाफा बंद पड़ा था
उलट-पलट कर घूर-घूर कर
अनपढ़ पन को कोस रही थी।
अनपढ़ कमला दुख में डूबी
तीन दिनों से सोच रही थी।
भाभी और ननद से लज्जा
सखी-सहेली यहाँ नहीं थी
तीन दिनों से इसी वेरह में
घुट-घुट कर वह तड़प रही थी।
अनपढ़ कमला दुख में डूबी
तीन दिनों से सोच रही थी।
आज इसी पछतावे में वह
खाना-पीना भूल गई थी
फिर अपने देवर चोटू से
करूँ पढ़ाई गन नहीं थी।
अनपढ़ कमला दुख में डूबी
तीन दिनों से सोच रही थी।
तीस दिनों तक जतन लगाई
तब अक्षर को जोड़-जोड़ कर
कमला उस दिन विहंस रही थी
औ पाती को खोल रही थी
अनपढ़ कमला दुख में डूबी
तीन दिनों से सोच रही थी।