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अफ़्रीका की याद / उंगारेत्ती
Kavita Kosh से
					
										
					
					
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सूरज छीन ले जाता है शहर को
देख नहीं पाते हम कुछ और
यहाँ तक की क़ब्रें भी ।
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सूरज छीन ले जाता है शहर को
देख नहीं पाते हम कुछ और
यहाँ तक की क़ब्रें भी ।