भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अभिनन्दन (नववर्ष) / पद्मजा बाजपेयी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन, स्वागत में सभी विकल बैठे,
धरती, सागर, मधुबन महके, पुरवइयाँ चली बयार अभी,
कोयल, फिरती नंदन-नंदन, नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन।
घर-घर में फ़ैली हरियाली, चौपालों पर दरबार सजे,
माताएँ प्यार-दुलार रही, नव वधुएँ करती नव श्रंगार,
नयनो में लगा नेह अंजन, नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन।
ढोलक शहनाई झांज बजे, देवी गीतो की गूंज उठे,
सुख-शान्ति सदा सदभाव लिए, माँ के चरणों की धूल लिए,
करते हैं सब वंदन-वंदन, नववर्ष तुम्हारा अभिनंद।।