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अभिनन्दन (नववर्ष) / पद्मजा बाजपेयी
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नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन, स्वागत में सभी विकल बैठे,
धरती, सागर, मधुबन महके, पुरवइयाँ चली बयार अभी,
कोयल, फिरती नंदन-नंदन, नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन।
घर-घर में फ़ैली हरियाली, चौपालों पर दरबार सजे,
माताएँ प्यार-दुलार रही, नव वधुएँ करती नव श्रंगार,
नयनो में लगा नेह अंजन, नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन।
ढोलक शहनाई झांज बजे, देवी गीतो की गूंज उठे,
सुख-शान्ति सदा सदभाव लिए, माँ के चरणों की धूल लिए,
करते हैं सब वंदन-वंदन, नववर्ष तुम्हारा अभिनंद।।