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अभिप्राय / गोबिन्द प्रसाद
Kavita Kosh से
मेरी लड़ाई
चेहरों से
नहीं
मेरी लड़ाई
सत्ता की उस सत्ता से है
जिस में आदमी का कोई चेहरा नहीं है!