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अभी आदमी / रणजीत
Kavita Kosh से
बहुत दूर मंज़िल है, लम्बा सफ़र है
अपने ही अस्त्रों से मरने का डर है
अभी से न ख़ुश हो मनुज की प्रगति पर
अभी आदमी बहुत जानवर है !