अरज / सुप्रिया सिंह 'वीणा'
कथि लेॅ भेजलोॅ तोंय विदेश हमरा बाबुल कथि लेॅ।
सुधि में हरदम अपनोॅ देश हमरोॅ बाबुल कथि लेॅ।
हम्में तेॅ छियै बाबुल तोरोॅ खुट्टा के गैया।
जहाँ चाहोॅ बान्ही देॅ कहोॅ बाबुल कथि लेॅ।
कथि लेॅ भेजलोॅ तोंय विदेश हमरा बाबुल कथि लेॅ।
हम्में तेॅ बाबुल तोरा अंगना के बेली फूल,
घरे-घर सुगंध फैलाबै छी बाबुल कथि लेॅ।
कथि लेॅ भेजलोॅ तांेय विदेश हमरा बाबुल कथि लेॅ।
भैया के देल्होॅ बाबुल महला दू महला,
हमरा तोंय देल्होॅ परदेश बाबुल कथि लेॅ।
कथि लेॅ भेजलोॅ तोंय विदेश हमरा बाबुल कथि लेॅ।
ताखाँ पर राखलोॅ हमरोॅ गुड़िया जे छूटलै,
आरो छूटलै तोराॅे प्यार कहोॅ बाबुल कथि लेॅ।
कथि लेॅ भेजलो तोंय विदेश हमरा बाबुल कथि लेॅ।
एक पल न भूलै छियौं गली आरोॅ तोरोॅ अँगना
पल-पल बरसै छै तोरोॅ प्यार हमरोॅ बाबुल कथि लेॅ।
कथि लेॅ भेजलोॅ तोंय विदेश हमरा बाबुल कथि लेॅ।