भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अर्थ / रामदरश मिश्र
Kavita Kosh से
अर्थ केवल शब्द में ही नहीं होता
मन में भी होता है
दोनों मेरे अत्यंत प्रिय थे
एक को कहा-‘बावला’
उसे लगा कितना अपनापन है इस शब्द में
और उसमें खुशी महमहा उठी
दूसरे को भी कहा ‘बावला’
वह तिलमिला उठा
उसे लगा कि उसे सचमुच पागल कहा जा रहा है
जबकि वह बेहद सयाना है
वह मेरे विरुद्ध
न जाने क्या क्या कहने लगा
और उसका हर शब्द मेरी हँसी बनता गया।
-16.2.2015