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अलग-थलग / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
एक-एक कर जला दिए गए हैं पुल
अरसा हो गया हमें
आर-पार बँटे हुए
बाहर-भीतर
हमारे सामने नदी में गिरकर
डूब गए है कुछ लोग
नदी का क्या बिगड़ता है
पुलों के होने न होने से
हम ही
पड़ गए हैं अलग-थलग
सदियों दूर
आमने-सामने