भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अहद अज़ खुद / ब्रजेन्द्र 'सागर'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


अहद अज़ खुद<ref>स्वयं से वादा</ref>

मेरे हौसलों से अहद का है यह तक़ाज़ा
कि तौहीन-ए-अल्फ़ाज़ न हो कहीं जुनून-ए-सुखन में

शब्दार्थ
<references/>