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अहे ननदिया हे / रामेश्वर झा 'द्विजेन्द्र’

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अहे ननदिया हे !
हिली-मिली जैवै जल लै गंगा-धार ।
असकरी हम नहीं जैवै ननदिया
रनघन-रनघन गरजै छै नदिया
आवै फगुनमा में हमरी ननदोइया
गुनी-गुनी पतिया लिखै तोरी गुइयाँ
हमहूँ मनावौं चलें गंगा मैया
अपनोॅ अँचरवा पसार । अहे ननदिया हे
अहे ननदिया हे !
भैया वांही तोहरोॅ बँसिया बजावै
बँसिया में साजन भी विरहा सुनावै
रही-रही हियरा में पीर उमगावै
गूंजै छै नदी-कछार ।
अहे ननदिया हे ।