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आँसू बाँधे है मैंने / त्रिलोचन
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आँसू बाँधे मैंने गठरिया में
अपने भी है और पराए भी हो ये
उपराए है तो तराए भी हे ये
आप आ गये है बराए भी है ये
साधे है मै ने कन कन डगरिया में
देखा ये पत्थर के ऊपर चुए है
चुपके से चूचू कर चूप हुए है
सूने में अटके अभी अनछुए है
कांधे है मैं ने बढ़ के नगरिया में
(रचना-काल -20-2-62)