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आई बरसात तो / सुधीर सक्सेना
Kavita Kosh से
गाती हैं बेग़म अख़्तर
फ़ाकिर की ग़ज़ल
फिर-फिर सुनता हूँ
ग़ज़ल के बोल
बेग़म की बेमिसाल गायकी
मगर बारिश दिल नहीं तोड़ती
सुप्रिया साथ है खुले आसमान तले
बारिश में
बरसात में सचमुच बरसती है शराब