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आग और बर्फ / रामधारी सिंह "दिनकर"
Kavita Kosh से
कुछ कहते हैं, विश्व एक दिन जल जाएगा,
कुछ कहते हैं, विश्व एक दिन गल जाएगा।
मुझे दीखता, दोनों ही सच हो सकते हैं।
तृष्णा वह्नि है, जगती उसमें जल सकती है।
घृणा बर्फ है, दुनिया उसमें गल सकती है।