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आज चाहता जी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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आज चाहता जी
(निराशा का चित्रण)
आज चाहता जी ,
सब दिन के बदले रोना,
धैर्य चाहता आज
बिदा प्राणों से होना
अब न भला लगता
ऐसे में आशा करना
अब न भला लगता
इतने में दुख में भी हँसना।
चाहते आँसू मेरे प्राण डुबेाना
आज चाहता जी,
सब दिन के बदले रोना
(आज चाहता जी कविता का अंश)