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आज तुम्हें / संगीता गुप्ता
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					आज तुम्हें		
अपने ही केस का 
निर्णय सुनाती हूँ
यहाँ वादी 
प्रतिवादी 
निर्णायक 
दर्शक भी मैं हूँ
स्वयं के पक्ष 
स्वयं के विरूद्ध
वकील भी मैं हूँ
मेरे  ‘मैं‘ को 
औरों ने नहीं 
मैं ने ही 
निर्वासित किया था 
स्वयं को स्वयं से 
दूर करने का अपराध 
मुझ से हुआ है 
स्वीकार करती हूँ
पर आज 
मैं ने ही 
तय किया है कि 
मैं ही 
‘मैं‘ को 
ढूंढ़ निकालूंगी
	
	