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आत्मरक्षा के लिए / रामकुमार कृषक
Kavita Kosh से
पुलिस को गोली चलानी पड़ी
गोली चलानी पड़ती है पुलिस को
घिर जाती है हिंसकों के बीच
जैसे अहिंसा...
’अ’ हटा दें आत्मरक्षा के लिए
हिंसा हो जाए !
रचनाकाल : 1971-1981