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आपणो कांई लेवै / सांवर दइया
Kavita Kosh से
गैलसफा गिनती में घणा कोनी
आंख्यां सूं आंधा ऐ
एक है
स्याणा अर सूझ खातर
आपरै नांव सूं ओळखीजता
अणगिणती आदमी
आपरी अलायदी दुनिया में रैवै
सहन करै
गैलसफां री गूंग
रेकारो ई कोनी देवै
मूंडै में मूंग घाल्यां बैठा रैवै
सोचै-
आपणो कांई लेवै !