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आवारा / रामकृपाल गुप्ता
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हवा के साथ उड़ा
कभी इधर कभी उधर
रह गया खड़ा-खड़ा
कभी इधर कभी उधर
हवा के साथ उड़ा
कभी इधर कभी उधर
एक तिनका हूँ मैं,
इनका-उनका हूँ मैं
वे मुझे रख न सके
दिल से जिनका हूँ मैं
अरे भटकता फिरा
कभी इधर कभी उधर
हवा के साथ उड़ा
कभी इधर कभी उधर
देखा-भाला ये जहाँ
बहुत कुछ यहाँ वहाँ
एक तूफान मिला
रुका मैं जहाँ-जहाँ
सँभल-सँभल केगिरा
कभी इधर कभी उधर
हवा के साथ उड़ा
कभी इधर कभी उधर
अकेला पैदा हुआ
अकेला ही भटका
मरूँगा आवारा
आशियाँ कहाँ बसा
दर्द-सा ज़रा-जरा
कभी इधर कभी उधर
हवा के साथ उड़ा
कभी इधर कभी उधर