भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आवास / ऋषभ देव शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

या तो
समुद्र की लहरों पर
हो
मेरा बसेरा
कभी सोऊँ नहीं

या
सोती रहूँ
तेरे विशाल वक्षस्थल पर
कभी जागूँ नहीं