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आस / हरीश बी० शर्मा
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जे ओ भरोसो है
कै थारा काम
लोगां नैं फोड़ देवै कोनी
थारा पग
मारग सारू है
फेरूं ई
लोगां सूं, कांटां सूं डरै ?
लोगां नैं समझाण अर
कांटां नै हटाण में समैं गंमावै।
ऐं सूं तो दो पावंडा बेसी चाल
लोगां सूं जे आस राखी
तो अवेस फोड़ा पावैला।
जाण लै
कांटां तो चुभसी
बिच्छु सूं कांई, बेसी आस राख सकै ?