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इतना तो बतलाते / गोपालदास "नीरज"
Kavita Kosh से
निष्ठुर इतना तो बतलाते!
कौन भूल ऐसी की हमनें
जो यह दण्ड दिया है तुमने
थमते अश्रु न और भूलकर होंठ कभी मुस्काते।
निष्ठुर इतना तो बतलाते!
तोड़ प्रेम के बन्धन सारे
जाना था यूँ ही यदि प्यारे
ले जाते निज याद, हृदय मेरा मुझको दे जाते।
निष्ठुर इतना तो बतलाते!
तो अकुलाते प्राण न इतने
तो न बिलखते टूटे सपने
हम भी आकर द्वार तुम्हारे, तुम पर धूल उड़ाते।
निष्ठुर इतना तो बतलाते!
हैं जग में सुन्दर से सुन्दर
बहुत देवता, जो पूजा पर
कर देते खुद को न्योछावर
किन्तु हमारी कमजोरी यह-
उनको ही पूजते सदा हम, जो पूजा ठुकराते।
निष्ठुर इतना तो बतलाते!